Thursday, May 6, 2021

व्यंग्य: मानस में मिली छूट सेे मुदित सरकार



तुलसीदास के रामचरित मानस में ऐसी बीसियों लाईनें हैं जो जनजीवन के बारे में कई सीख देती हैं, कई खुलासेें करती है। मानस में ही एक प्रसंग में तुलसीदास ने लिखा है- "धीरज, धर्म, मित्र और नारी, आपातकाल परखियो चारि"। इस लाइन में बड़े साफतौर पर कहा गया है कि आपातकाल में जिन चार लोगों की परीक्षा होती है वो धीरज, धर्म, मित्र और नारी ही है। जब से मानस में हुये इस खुलासे की जानकारी खास कारिन्दे ने सरकार को दी है सरकार मुदित है। सरकार वैसे कभी भी, किसी भी बात पर मुदित हो सकती है। मगर पिछले दिनों देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण बनी आपात् स्थिति को लेकर सरकार को जिम्मेदार ठहराने की बात हो रही थी तभी से सरकार चिंतित थी और इन लाइनों के हाथ लगने के बाद सरकार निश्चिंत है।


मानस के हवाले से जिम्मेदारी से मिली इस छूट को लेकर जैसे ही कारिन्दे ने जानकारी दी सरकार कारिन्दे का मुंह मोतियों से भर देना चाहती थी मगर कारिन्दे के मुंहचढ़े मास्क ने सरकार का हाथ थाम लिया। सरकार तो इस छूट पर जश्न भी मनाना चाहती थी मगर ऐन मौके पर कोरोना से बचाव के अनुशासन से जश्न अटक गया।मुदित सरकार इस छूट के लिये तुलसीदास के लिये कुछ करना चाहतीं हैं मगर  सरकार को बड़े अफसोस के साथ बताया गया कि तुलसीदास तो लगभग चार सौ  साल पहले ही निर्वाण को प्राप्त हो गये हैं। इधर सरकार के एक खासुलखास अधिकारी ने तो तुलसीदास को मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की फाईल भी चलवा दी। वो अधिकारी सरकार को और मुदित करना चाहता था। हर अधिकारी के ऊपर  एक अधिकारी और होता है और इसने भारतरत्न वाली बात पर फटकार लगाते हुए कहा कि सरकार के भी कुछ नियम  होते हैं और वो फाईल रोक दी गई।

मुदित सरकार इससे आगे भी और मुदित होना चाहती है
और इसी सिलसिले मैं उसने मानस अध्ययन और शोध केन्द्र (सियासी प्रखण्ड) भी बना दिया है। इसमें उस कारिन्दे के समान ही बीसियों जुगाड़ू विद्वान भी लगा दिये हैं। वे सभी मानस की एक-एक चौपाई खँगालकर ऐसे अंश और प्रसंग छाँट रहे हैं जो सरकार को मुदित कर सकें। उम्मीद है ऐसा जल्दी ही होगा और मुदित सरकार सच्ची सरकार के नाम से जानी जायेगी

राजा दुबे


  

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