Sunday, April 11, 2021

राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस



सुरक्षित मातृत्व का अर्थ है एक समूची पीढ़ी को सुरक्षित करना


सुरक्षित मातृत्व से तात्पर्य गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा से होता है और इसी परिप्रेक्ष्य में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की उचित देखभाल और प्रसव सेे जुड़ी स्वास्थ्य सम्बन्धी जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से देश में प्रतिवर्ष 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है । भारत सरकार ने 11 अप्रैल, 2003 को कस्तूरबा गांधी की जयंती पर यह दिवस घोषित किया था। केंद्र सरकार ने यह घोषणा महिलाओं के कल्याण के लिए कार्यरत " व्हाइट रिबन एलायंस फॉर सेफ मदरहुड" के अनुरोध पर की थी । एक गर्भवती महिला के निधन से ना केवल बच्चों के सिर से माँ का साया छिन जाता है अपितु एक पूरे परिवार की संरचना ही ध्वस्त हो जाती है । इसी एक आशंका से बचने के लिये देश में  गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की उचित देखभाल और प्रसव से जुड़ी सुविधाओं और सावधानियों के प्रति जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है । राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की धर्मपत्नी कस्तूरबा गांधी की जन्मतिथि 11 अप्रेल को  राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय भारत सरकार ने लिया था । आधिकारिक तौर पर किसी एक तिथि को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस घोषित करने वाला भारत  दुनिया का पहला देश है। इस दिन देश भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है ताकि गर्भवती महिलाओं के पोषण पर सही ध्यान दिया जा  सके।
 
प्रसव के दौरान प्रसूता की सुरक्षा से मातृ मृत्यु दर में आती है कमी 

माँ बनना प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान माना जाता है लेकिन हमारे देश में आज भी यह जोखिम भरा और 
कुछ महिलाओं के लिए तो मृत्यु की आशंका भरा काम
हैं । भारत में हर साल जन्म देते समय तकरीबन पैंतालिस हजार महिलाएं प्रसव के दौरान अपनी जान गंवा देती हैं। देश में जन्म देते समय प्रति एक लाख महिलाओं में से 167 महिलाएं मौत के मुंह में चली जाती हैं। स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय के मुताबिक भारत में मातृ मृत्‍यु दर में तेजी से कमी आ रही है। यह कमी प्रसव के दौरान। प्रसूता को सुरक्षा प्रदान करने से आई है । वर्ष 2010-12 में मातृ मृत्यु दर 178,  वर्ष 2007-2009 में 212 जबकि वर्ष 2004-2006 में मातृ मृत्यु दर 254 रही। देश ने वर्ष 1990 से 2011-13 की अवधि में 47 प्रतिशत की वैश्विक उपलब्धि की तुलना में मातृ मृत्‍यु दर को 65 प्रतिशत से ज्‍यादा घटाने में सफलता हासिल की है जो एक उल्लेखनीय तथ्य है ।

मातृ मृत्यु की वजह पर सतत निगरानी और कारणों का विश्लेषण हो

अशिक्षा ,स्वास्थ्यकर आदतों ( हाईजेनिक हेबिट्स ) की  जानकारी की कमी, समुचित स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, कुपोषण, कच्ची उम्र में विवाह, बिना तैयारी के गर्भधारण आदि कुछ कारणों की वजह से माँ बनने का खूबसूरत अहसास कई महिलाओं के लिए जानलेवा और जोखिम भरा साबित होता है। कई मामलों में माँ या नवजात शिशु या दोनों की मौत हो जाती है। ज्यादातर मातृ मृत्यु की वजह बच्चे को जन्म देते वक्त अत्यधिक रक्तस्राव होता है। इसके अलावा इंफेक्शन, असुरक्षित गर्भपात या ब्लड प्रेशर भी अहम वजहें हैं। इन वजह पर सतत निगरानी और मातृ मृत्यु के कारणों का विश्लेषण भी बेहद जरुरी होता है । प्रसव के दौरान लगभग 30 प्रतिशत महिलाओं को आपात सहायता की आवश्यकता होती है। गर्भावस्था से जुड़ी दिक्कतों के बारे में सही जानकारी न होने तथा समय पर मेडिकल सुविधाओं के ना मिलने या फिर बिना डॉक्टर की मदद के प्रसव के कारण भी प्रसुताओं की मौत हो जाती है।  जच्चा और बच्चा की सेहत को लेकर आशा कार्यकर्ताओं का अहम् रोल होता है लेकिन इनकी कमी से कई महिलाएं प्रसव पूर्व न्यूनतम स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह जाती हैं। समस्त मातृ मौतों में से लगभग 10 प्रतिशत मौतें गर्भपात से संबंधित जटिलताओं के कारण होती हैं।
महिलाओं को प्रसव के दौरान बचाने की मुहिम के समक्ष कई चुनौतियाँ भी हैं। जिनमें किशोरियों को यौन शिक्षा और स्वच्छता, शारीरिक विकास के लिए सही पोषण, गर्भनिरोधक उपायों की आसानी से उपलब्धता और उनकी समुचित जानकारी प्रमुख हैं। इसके साथ ही पूरे देश में, खासकर ग्रामीण इलाकों में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों और चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराए बगैर भी इन लक्ष्य को पाना संभव नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस पर इन्हीं चुनोतियों पर गहन विमर्श किया जाता है ।

कोरोना संक्रमण काल में भी गर्भवती महिलाओं को मिला संरक्षण

कोरोना संक्रमण काल में अवाँछित गर्भधारण के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई । इस स्थिति में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में हर महीने की नवीं तारीख को गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व चेकअप, मुफ्त जांचें औ दवा के साथ योजनाओं की जानकारी और इलाज मुहैया करवाने से बड़ा लाभ हुआ ।इतना ही नहीं  ज‍िन मह‍िलाओं को ड‍िलीवरी से पहले कोई समस्‍या आती है उन्‍हें पहले ही च‍िन्‍ह‍ित कर ल‍िया जाएगा इसल‍िए भी इस योजना की महत्‍व कोव‍िड के दौरान बढ़ गया । कोरोना संक्रमण काल मेंआर्थि‍क तंगी के दौरान लोगों के पास इलाज करवाने की क्षमता नहीं थी ऐसे में यह योजना मुफ्त इलाज मुहैया करवाने में सक्षम सिद्ध हुआ । इस समय अस्‍पतालों में कोरोना के मरीजों के चलते भीड़ है ऐसे में इस योजना के तहत अगर गर्भवती को रेफर करना पड़े तो वो सुव‍िधा भी म‍िल जाती है। कोरोना काल के बीते एक डेढ़ साल से परिवारों की आर्थिक स्‍थ‍ित‍ि बेहद खराब हालातों में है। गरीब और मध्‍यम वर्गीय पर‍िवार से आने वाले लोगों के ल‍िए इलाज का खर्च उठा पाना भी मुश्‍क‍िल है ऐसे में अगर सरकारी योजनाओं की जानकारी हो तो जरूरतमंदों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। ऐसी ही एक योजना है प्रधानमंत्री सुरक्ष‍ित  मातृत्व अभियान। ये योजना गर्भवती मह‍िलाओं के ल‍िए बनाई गई है। कोव‍िड 19 के दौरान इसकी महत्‍वता और भी बढ़ गई है क्‍योंक‍ि इस अभ‍ियान के तहत प्रसव पूर्व देखभाल सुनिश्‍च‍ित की जाती है। अगर कोई महि‍ला ड‍िलीवरी से पहले क‍िसी बीमारी या खतरे का श‍िकार है तो उसे समय रहता च‍िन्‍ह‍ित कर ल‍िया जाता है। ये योजना साल 2016 में शुरू की गई थी पर इन द‍िनों इस योजना की जानकारी होनी जरूरी है ताक‍ि जो लोग प्राइवेट अस्‍पतालों के महंगे इलाज करवाने में सक्षम नहीं हैं वो योजना के तहत मुफ्त इलाज ले पाएं। 

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान से देश में मातृ मृत्यु दर में कमी होगी

मातृ मृत्यु दर में कमी के लिये भारत सरकार ने  कई प्रभावी योजनाएं आरम्भ की है और प्रसूति के दौरान मौत को कम करने के लिए गंभीर प्रयास सुनिश्चित करने के निर्देश भी स्वास्थ्य प्रशासन को दिये हैं। इन योजनाओं ने न केवल समाज में जागरुकता फैला कर महिलाओं का सशक्तिकरण किया गया है बल्कि उनकी जरुरतों को लेकर भी समाज और देश को संवेदनशील बनाया गया है।इन योजनाओं मे प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान – सबसे प्रमुख है और इस अभियान से देश में मातृ मृत्यु दर में निश्चित रूप से कभी होगी  यह अभियान देश में तीन करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत लाभार्थियों को हर महीने की नवीं तारीख़ को प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं (जांच और दवाओं सहित) का न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाता है । यदि किसी माह में नवीं तारीख को रविवार या राजकीय अवकाश होने की स्थिति में अगले कार्यदिवस पर यह दिवस आयोजित किया जाता है । पिछले दिनों माननीय प्रधानमंत्रीजी ने मन की बात की एक कड़ी में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के लक्ष्य और शुरूआत के उद्देश्य पर प्रकाश डाला तथा निजी क्षेत्र के स्त्री रोग विशेषज्ञों और चिकित्सकों से उनकी स्वैच्छिक सेवाएं देने की अपील की। इस कार्यक्रम की शुरुआत इस आधार पर की गयी है, कि भारत में हर एक गर्भवती महिला का चिकित्सा अधिकारी द्वारा परीक्षण एवं पीएमएसएमए के दौरान उचित तरीके से कम से कम एक बार जांच की जाए तथा इस अभियान का उचित पालन किया जाए, तो यह अभियान हमारे देश में होने वाली मातृ मृत्यु की संख्या को कम करने में महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका निभा सकता है । प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और कवरेज में सुधार लाना है। इस संबंध में जागरूकता बढ़ाने के लिए समस्त संचार पैकेज के साथ पीएसएमए वेब पोर्टल और मोबाइल एप की भी शुरुआत की गई है।

गर्भवती महिलाओं के लिये बनी गर्भावस्था सहायता योजना 

गर्भवती महिलाओं के लिए कुछ नई योजनाओं की घोषणा भी की गई, जिसमे गर्भावस्था सहायता योजना भी एक है । इस योजना की घोषणा प्रसूति मृत्यु दर में कमी लाने के प्रयास के रूप में प्रधानमंत्री द्वारा की गई थी। इस योजना के तहत 6,000 रुपये की वित्तीय सहायता गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में प्रसव के बाद महिला के बैंक खाते में प्रदान की जाती है । इसी
प्रकार सरकार ने कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश को बारह सप्ताह से बढ़ाकर  छब्बीस सप्ताह कर दिया है जिससे औपचारिक क्षेत्र में काम करने वाली करीब अट्ठारह लाख महिलाओं को  फायदा मिलेगा।  इस संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा, दुनिया में शायद दो या तीन ही देश हैं, जो इस मामले में हम से आगे हैं। इस महत्वपूर्ण फैसले का मूल उद्देश्य नवजात शिशु की देखभाल इसप्रकार करना है कि वो भारत का भावी नागरिक हैं । जन्म के प्रारंभिक काल में यदि उसकी सही देखभाल हो, माँ का उसको भरपूर प्यार मिले, तब ये शिशु बड़े हो करके देश की अमानत बनेंगे।इसके अलावाा भी केंद्र सरकार ने महिला और बच्चों की सुरक्षा और विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैैं और कई योजनाओं की शुरुआत भी की है । बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ , सुकन्या समृद्धि योजना,दीनदयाल अंत्योदय योजना, स्वच्छ भारत योजना के जरिए भी भारत सरकार ने महिलाओं के विकास के लिए न केवल कई प्रयास किए बल्कि समाज में भी इनसे संबंधित संवदेनशील मुद्दों के प्रति लोगों में जागरुकता लाने में भी सफल रही है । इससे समाज में महिलाओं के सम्मान के साथ-साथ उनके आत्मसम्मान में भी बढ़ोत्तरी हुई। साथ ही साथ बाल विवाह के खिलाफ मुहिम और महिला जनन स्वास्थ्य व गर्भाधान को लेकर जागरुकता का भी असर दिखना शुरू हो गया है। हाल के वर्षों में देश ने अनेक सूचकांकों के बारे में महत्वपूर्ण प्रगति की है और देश में नवजात शिशु मृत्यु दर (आईएमआर), मातृ मृत्यु दर (एमएमआर), कुल प्रजनन दर (टीएफआर) जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य संकेतकों में पर्याप्त प्रगति की है और देश में पांच मृत्यु दरों के अधीन विश्व की तुलना में तेजी से गिरावट आई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत में सरकार सुरक्षित मातृत्व के प्रति कितनी सचेष्ट हैं ।

राजा दुबे 

 

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