शहीद की माँँ का नवाचार : सिरेमिक आर्ट पीस से जुटातीं हैं सेना के लिये धन
सशस्त्र सेना झंडा दिवस, सेना के झण्डे की प्रतिकृति को किसी वीआयपी के कोट पर टाँक देना मात्र ही नहीं है, न ही यह केवल एक औपचारिक सरकारी आयोजन है। झण्डा दिवस वस्तुत: सेना के झण्डे के माध्यम से जनसाधारण को यह संदेश पहुँचाना है कि हम देश के लिये प्राणोंत्सर्ग करने वाले सैनिकों और उनके परिजन के प्रति अपने दायित्व को समूची शिद्दत के साथ निबाहें और इस अवसर पर उनके लिए धनसंग्रह में प्रभावी हिस्सेदार बने। इसी भावभूमि पर भोपाल की श्रीमती निर्मला शर्मा, जो एक दिवंगत सैन्य अधिकारी की माँ हैं, अपने शहीद बेटे की स्मृति में पिछले तेरह सालों से एक नवाचार कर रही हैं।
श्रीमती निर्मला शर्मा के बेटे देवाशीष शर्मा, भारतीय सेना में कैप्टन थे। सेना में कैप्टन रहे देवाशीष शर्मा 10 दिसंबर,1994 को कश्मीर में -"आपरेशन रक्षक" के दौरान आतंकवादियों की गोलीबारी के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे और मरणोपरांत उन्हें कीर्ति चक्र और वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इन्हीं शहीद की माँ छिअत्तर वर्षीय श्रीमती निर्मला शर्मा वर्ष 2007 से प्रतिवर्ष झंडा दिवस पर अपने बेटे की याद में चार दिवसीय सिरेमिक प्रदर्शनी का आयोजन करतीं हैं.
इस प्रदर्शनी में वे अपने हाथों से बनाए सिरेमिक के पॉटस प्रदर्शित करतीं हैं और उनकी बिक्री भी करतीं हैं और बिक्री से प्राप्त राशि सशस्त्र सेना झंडा निधि में जमा करवाती है। इसी कड़ी में इस वर्ष भी भोपाल में 7 दिसम्बर से 10 दिसंबर तक चार दिवसीय सेरेमिक आर्ट्स प्रदर्शनी जिला कल्याण बोर्ड में शुरु हुई। इसमें निर्मला शर्मा के साथ अन्य कलाकारों वीना सिंह, संजय, शुभोजित और निशांत ने भी अपनी-अपनी कलाकृतियां प्रदर्शित की। एग्जीबिशन प्रतिदिन अपराह्न तीन से छ:बजे तक लगाई गई। विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित ब्रिग्रेडियर आर विनायक, सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ. जयलक्ष्मी विनायक और बड़ी संख्या में कलाकार इस अवसर पर मौजूद थे।
उनके इस योगदान पर ब्रिगेडियर आर विनायक ने बड़ी सटीक टिप्पणी की और कहा कि निर्मलाजी का बेटा इस दुनिया में नहीं रहा, लेकिन निर्मलाजी उसकी याद को फौज से जोड़े हुए हैं इसलिए उन्होंने मिट्टी की कलाकृतियों को बनाने की जो कला सीखी थी, उससे हर साल भारतीय सेना के सशस्त्र सेना झंडा निधि के लिए राशि सौंपती हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन कला और फौज को समर्पित कर दिया यह एक बड़ी उपलब्धि है ।
एग्जीबिशन में कैप्टन देवाशीष शर्मा की फोटो पर फूल चढ़ाए गए। इसके बाद डॉ. जयलक्ष्मी विनायक ने कैप्टन देवाशीष शर्मा की शौर्य गाथा को बताया। साथ ही उन्होंने देवाशीष पर तैयार एक गाने को भी प्रस्तुत किया।श्रीमती निर्मला शर्मा बताती हैं कि इस अभियान में देश भर के आर्टिस्ट सहयोग करते हैं। हर साल वो अपना काम मुझे दे देते हैं। इस बार भी कई आर्टिस्ट ने अपने आर्टवर्क को डिस्प्ले किया है। उससे प्राप्त राशि और मेरे आर्ट वर्क की राशि और साल भर एग्जीबिशन से इक्ट्ठा राशि उन सबको मिलाकर मैं दस दिसंबर को अपने बेटे की पुण्यतिथि पर सैनिक कल्याण कोष में यह पैसा दे देती हूँ । पिछले साल निर्मलाजी ने ऐसी प्रदर्शनी से एक लाख रुपये झण्डा निधि में दिये थे।
राजा दुबे
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