Thursday, November 12, 2020

निमोनिया और कोरोना के घातक गठजोड़ से जूझ रहा है विश्व- राजा दुबे



इस वर्ष जब 12 नवम्बर को हम विश्व निमोनिया दिवस मना रहे हैं तब कोरोना संक्रमण काल मे कोरोना के साथ निमोनिया के घातक गठजोड़ से एक नये खतरे से विश्व को जूझना पड़ रहा है. मध्यप्रदेश के गज़रा राजा चिकित्सा महाविद्यालय, ग्वालियर के प्राध्यापक डॉ.अजयपाल सिंह के अनुसार मौसम बदलने के साथ कोरोना संक्रमण घातक होता जा रहा है। खासतौर से उन लोगों के लिए जिन्हें डायबिटीज के साथ दिल की बीमारी या अन्य कोई गंभीर बीमारी भी है. ऐसे मरीजों को वायरलजनित निमोनिया के साथ कोरोना संक्रमण हुआ तो उनकी हालत बिगड़ने की संभावना ज्यादा है. कोरोना संक्रमण के साथ वायरलजनित निमाेनिया होना काफी घातक है, इसलिए डायबिटीज और हार्ट के मरीज को यदि खांसी के साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ महसूस हो तो उसे तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए. समय रहते अगर निमोनिया का पता चल जाता है, तो उसका इलाज कर रोगी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है. दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि कोरोना वायरस या कोविड -उन्नीस अनजान कारणों से निमोनिया जैसी बीमारी के साथ ही सामने आया है बाद में पता चला कि इस बीमारी का कारण सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस - टू या सार्स कोरोना वायरस - टू है. इसमें शुरुआत में हल्की सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण होते हैं. इस सच्चाई के सामने आते ही वैश्विक पैमाने पर इस घातक गठजोड़ के प्रति ऐहतियात वापरा जा रहा है मगर विशेषज्ञों के अनुसार
इस खतरे को कम करके नहीं आँका जाना चाहिए.



वैश्विक गठबंधन की  प्रभावी पहल पर आरम्भ हुआ था- "विश्व निमोनिया दिवस"

विश्व निमोनिया दिवस, विश्व के अधिकांश देशों मेें 12 नवम्बर को मनाया जाता है. विश्व निमोनिया दिवस की प्रभावी पहल वर्ष 2009 में बच्चों में निमोनिया के रोकथाम के लिये एक वैश्विक गठबंधन ने की थी. वर्ष 2009 में, निमोनिया से हर साल 1.2 मिलियन अर्थात् बारह लाख बच्चों की मृत्यु एक बड़ा हादसा था और इसे रोकने कै लिये ही वैश्विक संगठन ने यह प्रभावी पहल की थी. वर्ष 2013 में, विश्व स्वास्थ्य संगठ ( वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन) और संयुक्त राष्ट्र की बच्चों की हित रक्षा के लिये गठित संस्था यूनीसेफ (यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रेन फण्ड) ने निमोनिया और डायरिया की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एकीकृत वैश्विक कार्ययोजना जारी की थी, यह योजना 2025 तक हर देश में प्रति एक हज़ार जीवित जन्मों में से तीन से कम बाल निमोनिया से होने वाली मौतों का लक्ष्य निर्धारित करती है. चाइल्ड न्यूमोनिया के खिलाफ वैश्विक गठबंधन सरकारी, गैरसरकारी, अंतर्राष्ट्रीय, समुदाय-आधारित संगठन, अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों, बुनियादी तौर पर जन स्वास्थ्य के लिये समर्पित संस्थाओं और व्यक्तियों का प्रभावी समूह है. निमोनिया से बचाव, रोकथाम और उपचार के लिए सरकार, सामान्यजन और समाजसेवी संगठनों की सक्रिय भागीदारी और अतिरिक्त संसाधनों की जरुरत होती है जिससे निमोनिया जैसे रोगों का वैश्विकस्तर पर मुकाबला किया जा सकें. 

निमोनिया चिकित्सा विज्ञान के लिये हमेशा एक बड़ी चुनौती रही है

न्यूमोनिया (जिसे बोलचाल में निमोनिया भी कहते है) एक जानलेवा बीमारी है. इसकी विश्वव्यापी उपस्थिति चिकित्सा विज्ञान के लिये हमेशा एक बड़ी चुनौती रही है. उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार विश्व में निमोनिया से प्रतिवर्ष लगभग चार सौ पचास मिलियन अर्थात् पैंतालिस करोड़ आबादी प्रभावित होती है जो कि विश्व की जनसंख्या का सात प्रतिशत है और इसके कारण प्रतिवर्ष लगभग चार मिलियन अर्थात चालीस लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है. इसी भयावह स्थिति के कारण उन्नीसवीं शताब्दी के चिकित्सा विज्ञानी ओस्लर द्वारा निमोनिया को "मौत बांटने वाले मुखिया" कहा गया था. बीसवीं शताब्दी में एंटीबायोटिक उपचार और टीकों के आने से बचने वाले लोगों की संख्या यद्यपि बेहतर हुई है बावजूद इसके विकासशील देशों में, बुज़ुर्गों, युवा उम्र के लोगों और जटिल रोगियों में निमोनिया अभी मृत्यु का प्रमुख कारण बना हुआ है.
निमोनिया की संभावना को बढ़ाने वाली परिस्थितियों और जोखिम कारकों में धूम्रपान, प्रतिरक्षा की कमी तथा मद्यपान की लत, गंभीर प्रतिरोधी फेफड़ा रोग, गंभीर गुर्दा रोग और यकृत रोग शामिल होते  हैं. अम्लता-दबाने वाली दवाओं जैसे प्रोटॉन-पम्प इन्हिलेटर्स या एच-टू ब्लॉकर्स का उपयोग निमोनिया के बढ़ते जोखिम के अहम् कारण हैं. उम्र का अधिक होना भी निमोनिया के होने को बढ़ावा देता है. विश्व
निमोनिया दिवस पर इन्हीं चुनौतियों का सामना करने
के चिकित्सकीय उपायों पर चर्चा होती है.

फैंफड़ों  में सूजन का एक जानलेवा संक्रामक रोग है निमोनिया

फुफ्फुस शोथ अथवा फुफ्फुस प्रदाह (निमोनिया) फेफड़े में सूजन वाली एक परिस्थिति है—जो प्राथमिक रूप से अल्वियोली (कूपिका) कहे जाने वाले बेहद सूक्ष्म वायु कूपों को प्रभावित करती है. यह मुख्य रूप से विषाणु या जीवाणु और कतिपय सूक्ष्मजीवों, कुछ दवाओं और अन्य परिस्थितियों जैसे स्वप्रतिरक्षित रोगों से संक्रमण द्वारा होती है. निमोनिया के आम लक्षणों में खांसी, सीने का दर्द, बुखार और सांस लेने में कठिनाई शामिल है. नैदानिक उपकरणों  यथा एक्स-रे और बलगम का कल्चर से निमोनिया का निदान किया जाता है. निमोनिया का उपचार, अंतर्निहित कारणों पर निर्भर करते हैं. प्रकल्पित बैक्टीरियाजनित निमोनिया का उपचार प्रतिजैविक द्वारा किया जाता है. यदि निमोनिया गंभीर हो तो प्रभावित व्यक्ति को आम तौर पर अस्पताल में भर्ती किया जाता है.निमोनिया मुख्य रूप से बैक्टीरिया या वायरस द्वारा और कभी-कभी फफूंद और परजीवियों द्वारा होता है चिकित्सा विज्ञान ने हालाँकि संक्रामक एजेंटों के सौ से अधिक उपभेदों की पहचान की  है लेकिन अधिकांश मामलों के लिये इनमें केवल कुछ ही जिम्मेदार  होते हैं.वायरस व बैक्टीरिया के मिश्रित कारण वाले संक्रमण बच्चों के संक्रमणों के मामलों में पैंतालिस प्रतिशत  तक और वयस्कों में पन्द्रह प्रतिशत मामलों में ही जिम्मेदार होते हैं समय पर निमोनिया की पहचान से निमोनिया का सफल उपचार सम्भव होता है.

निमोनिया के खतरनाक प्रकार के विरुद्ध दस साल पहले बन गया था टीका 

दुनिया में निमोनिया से सबसे ज़्यादा पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत हो जाती है और इसी अनपेक्षित को टालने के लिये ठीक दस साल पहले 12 दिसम्बर 2010 को निकारागुआ में  निमोनिया से लड़ने के लिए एक नये टीके को  लाँच किया गया था. इस टीके से निमोनिया के एक सबसे ख़तरनाक माने जानेवाले प्रकार, न्यूमॉकॉकल से लड़ने में आसानी हुई. न्यूमॉकॉकल निमोनिया का एक जानलेवा प्रकार है. इस प्रकार से मेनिंजाइटिस यानि दिमागी बुख़ार और निमोनिया जैसी बीमारी होती है.पूरी दुनिया में पाँच साल से कम उम्र के अधिकाशं बच्चों की मौत के लिए निमोनिया का ये प्रकार ज़िम्मेदार माना जाता है. वर्ष 2011 से दुनिया के चालीस विकासशील देशों में इस टीके की बिक्री शुरू की गई. इसीप्रकार हेमोफिलस इन्फ्लुएंज़ा और स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया के विरुद्ध टीकाकरण के अच्छे साक्ष्य उपलब्ध है. स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया के विरुद्ध बच्चों को टीकाकरण प्रदान करने से वयस्कों में इसके संक्रमण में कमी आयी है, क्योंकि कई सारे वयस्क इस संक्रमण को बच्चों से ग्रहण करते है. एक स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया टीका वयस्कों के लिये उपलब्ध है और इसको हमलावर निमोनिया रोग के जोखिम को कम करता पाया गया है. अन्य वे टीके जिनमें निमोनिया के विरुद्ध रक्षा प्रदान करने की क्षमता है, उनमें परट्यूसिस, वेरिसेला और चेचक के टीके भी शामिल हैं। दीगर संक्रामक रोगों के समान निमोनिया के रोकथाम मेंं भी टीकाकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है.

निमोनिया से  बचाव के लिये ऐहतियात जरुरी है 

निमोनिया जानलेवा बीमारी जरुर है मगर हल्के निमोनिया को घर में आराम, एंटीबायोटिक दवाओं और बहुत से तरल पदार्थों के साथ इलाज किया जा सकता है. यदि मामला गंभीर है तो किसी व्यक्ति को अस्पताल उपचार की आवश्यकता हो सकती है. बचपन में निमोनिया से बचाव के लिए टीकाकरण कराया जाना चाहिए. टीकाकरण के अलावा, डॉक्टर पांच महीनों के लिए विशेष स्तनपान का सुझाव देते हैं, पौष्टिक आहार, एक अच्छी स्वच्छता बनाए रखने और स्वस्थ जीवन शैली निमोनिया को रोक सकते हैं. न्यूमोकोकल टीके जो स्ट्रेटोकोकस न्यूमोनिया नामक बैक्टीरिया के खिलाफ इस्तेमाल किये जाते हैं, उनका उपयोग निमोनिया के कुछ मामलों को विफल कर सकता है.निमोनिया आसानी से रोका जा सकता है और उपचार योग्य भी है, इसके बावजूद पांच साल से कम उम्र के बच्चों में होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से यह एक है. टीके और अन्य निवारक प्रयास निमोनिया बीमारी के बोझ को कम कर रहे हैं, फिर भी बहुत अधिक काम करने की आवश्यकता है.गरीब समुदायों में रहने वालों को निमोनिया का सबसे अधिक खतरा है. निमोनिया बच्चों और परिवारों को हर जगह प्रभावित करता है, लेकिन दक्षिण एशिया (जिसमें भारत भी शामिल है) और उप-सहारा अफ्रीका में इसका प्रकोप ज्यादा है.विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि प्रत्येक बच्चा, चाहे वे जहाँ भी पैदा हुआ हो, वह जीवनरक्षक टीकों और दवाओं तक पहुँच का हकदार है अत: विश्व निमोनिया दिवस पर एक- एक बच्चा टीकाकृत हो यह सुनिश्चित करना जरुरी है.

राजा दुबे. 

No comments: