माँ बनना इस वक्त मुझे दुनिया का सबसे मुश्किल काम लग रहा है। पढ़ाई-लिखाई, बिना किसी आधार या सहारे के अचानक दिल्ली आना और नौकरी के लिए जूझना, रिक्शे के पैसे बचाने के लिए लंबी-लंबी दूरी पैदल नापना, बस में धक्के खाना, भुवन से शादी करने का फैसला अकेले लेना, मम्मी-पापा का गुस्सा झेलना, यहाँ तक की गर्भावस्था के पूरे नौ महीने मैट्रो में अधिकतर खड़े होकर ऑफिस जाना... सबकुछ, इस वक्त मुझे बच्चों का खेल मालूम हो रहा है। नौ महीने एक कोख में बंद बच्चा जब अचानक बाहर निकलता है तो उसे इस दुनिया को समझने में अच्छा खासा समय लग जाता है। लेकिन, नई-नई माँ बनी लड़की की समझ या कहे कि नासमझी भी बच्चे से कम नहीं होती। पूरे नौ महीने लगे थे ये समझने में कि गर्भवती होना क्या होता है। क्या खाना होता है, क्या पीना होता है, कैसे रहना होता है। और, जैसे ही इसे मैंने डी-कोड किया वैसे ही एक दिन अचानक दर्द हुआ और लेबर रूम के बेड पर डॉक्टरों की टीम ने अस्मि को धपाक से मेरे ऊपर पटक दिया। दर्द से भरे हुए शरीर के साथ अचानक ही माँ होने की बड़ी-सी ज़िम्मेदारी मेरी गोद में आ गई। शुरुआती तीन-चार दिन तो ये समझने में लग गए कि मेरे पास लेटी ये बच्ची मेरी ही है किसी भाभी, दीदी या मौसी कि नहीं जो अभी इसे मेरे खिला लेने और मन बहला लेने के बाद लेकर चली जाएगी। शरीर के दर्द के साथ बच्चे को पालने के दौरान वात्सल्य जैसा कोई भाव मेरे मन में नहीं आ पा रहा था। मेरे आसपास मौजूद हर व्यक्ति के चेहरे पर मुझे वो नज़र आ रहा था। लेकिन, मैं अपनी पीड़ा और इसके होने के बीच फंसी हुई थी। आज दो महीने से हम दोनों एक साथ है। दिन हो या रात हम दोनों का साथ अटूट है। हम दोनों अब एक दूसरे को समझने लगे है। वो ये जान गई है कि यही है मेरी माँ जिसके साथ मैं दो नहीं ग्यारह महीने से जुड़ी हुई हूं... और, मैं भी अब वात्सल्य का असल अर्थ समझने लगी हूँ। इसके रोने, बीमार होने पर जब आंख से आंसू बहते है तो कई बार लगता है कि मैं कुछ ज़्यादा ही भावुक हो रही हूँ। लेकिन, सच में अब धीरे-धीरे मैं माँ बन रही हूँ। 28 दिसम्बर को मैंने बस इसे जन्म दिया था। माँ तो मैं अब धीरे-धीरे रोज़ाना थोड़ी-थोड़ी बन रही हूँ।
6 comments:
Nicely expressed.. Though I cannot understand what you guys have gone through... But some how I can relate with your blog...
God bless the child..
Wakai! Achchha hai.
Wakai! Achchha laga.
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सुन्दर से सुन्दर रचना है ।Seetamni. blogspot. in
बहुत खूब, माँ बनना और महसूस होना, उसे स्वीकार करना|आपने इन भावों को बखूबी से लिखा है
Hindi Shayari
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