पीवीआर सिनेमा से बाहर निकलते वक्त सामने लिखा
मिलता है “मुस्कुराइए आप कैमरे की नज़र में है” इस लाइन को
पढ़ते ही मैं हर बार सोचती हूँ- “अरे! मैं ठीक तो
लग रही हूँ ना?”
ये है हमारी आज की दुनिया है हम हर जगह, हर
मौक़े, हर मोड़ पर कैमरों से घिरे हुए हैं। अब केवल ईश्वर ही नहीं है जो हमें देख
रहा है। अब तो दीवारों की भी आँखें हैं। फिलहाल मेरे सामने तीन टीवी स्क्रीन ऑन
है। जिनमें से दो पर न्यूज़चैनल चल रहे हैं। और, एक पर लोकसभा टीवी। न्यूज़ चैनलों
पर दिल्ली विधानसभा में चल रहा हंगामा दिखाया जा रहा है और, लोकसभा टीवी कल हुए
हंगामे पर चर्चा कर रहा है। दिल्ली विधानसभा में हंगामा कर रहे सभी विधायक ये
जानते हैं कि कैमरे कहाँ लगे हैं और किस एंगल में खड़े होकर या कहाँ खड़े होकर
हंगामा करना है। दस फरवरी से मैं रोज़ाना लोकसभा में होनेवाले हंगामे की गवाह बन
रही हूँ। कल जो कुछ हुआ उसे भी मैंने देखा। विरोधी सांसदों को बाखूबी ये मालूम था
कि कैमरा कहाँ है और कैसे वो उन्हें और उनके विरोध को कैप्चर कर सकता हैं। वो अपने
बैनर, पोस्टर और विरोध के तरीकों को कैमरा एंगल समझते हुए जताते हैं। न्यूज़
चैनलों पर बहस करनेवाले शो का हिस्सा बनते-बनते अब सभी नेता कैमरा एंगल्स के
अभयस्त हो चुके हैं। और, चैनलों पर तो वो रोज़ाना ही अपनी और स्टूडियो की गरिमा को
एंकर की मदद से तार-तार कर देते हैं। वॉक आउट भी इनका हिस्सा है। बस पेपर स्प्रे
नहीं चलता है क्योंकि अधिकांश लोग ओबी के ज़रिए अलग-अलग जगहों से जुड़ते है सो,
स्प्रे का असर उन पर ही उल्टा पड़ सकता हैं। वैसे फेसबुक पर भी घर में मनाए गए
जन्मदिन और शादी के वीडियो, फोटो और सेल्फी चस्पां करते-करते हर कोई ये जानने लगा
है कि कैमरा एंगल क्या होगा और कैसे और कहाँ से क्या दिखेगा। 13 फरवरी को संसद में
हुए अराजक हंगामे को देखकर मुझे इस बात पर यक़ीन हो गया है कि हम कैमरा युग में जी
रहे हैं। कलयुग का एक अहम हिस्सा होगा ये कैमरा युग। हमारा प्यार, अनुराग,
विद्रोह, द्वेष सबकुछ कैमरे की लेंस और फोकस की लेन्थ से तय हो रहा है। आप
सुबह-सुबह एफ़एम लगा लिजिए दिल्ली के मुख्यमंत्री हर दस मिनिट में ये बोलने आ जाते
हैं कि जो घूस मांगे उसे घूस दो और अपने मोबाइल के कैमरे में उसे कैद कर लो।
मोबाइल खरीदते समय वैसे भी हमारा पहला सवाल कैमरे का मेगा पिक्सल से जुड़ा ही होता
है। थोड़े ही वक्त में कैमरा शाय, कैमरा फीयर ऐसे टर्म खत्म हो जाएंगे। क्योंकि अब
तो बच्चे माँ के पेट से ही कैमरा एंगल समझकर निकलते हैं...
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