हमेशा रोते हुए... |
कलर्स पर प्रसारित होनेवाला धारावाहिक ससुराल
सिमर का भारत के टेलिविज़न इतिहास में हमेशा याद किया जाना चाहिए। उसकी कहानी,
पटकथा, संवाद, कलाकारों का चित्रण सबकुछ। जिस संस्थानों में टेलिविज़न प्रोडक्शन
पढ़ाया जाता है वहाँ भी इस धारावाहिक पर एक चैप्टर होना चाहिए। मेरे मुताबिक़ ये
कार्यक्रम बेहद खराब कहानी और पटकथा के साथ-साथ रूढ़ीवादी संवादों से भरा हुआ है।
टेलिविज़न के इतिहास में अब तक चले सभी धारावाहिकों में अगर बेहद खराब और घटिया
धारावाहिकों की सूची बनेगी तो उसमें इसे ज़रूर शामिल होना चाहिए। धारावाहिक की
शुरुआत हुई थी एक ऐसी लड़की की कहानी के रूप में जो एक नृत्यांगना बनना चाहती थी।
शुरुआती अंकों में शाहरूख भी गेस्ट के रूप में आए थे। और, शाहरूख से मिलने के
चक्कर में ही सिमर ने अपनी शादी के मंडप में अपनी छोटी बहन को बिठाया था।
धारावाहिक की शुरुआत सिमर के ससुराल और उसके सपने के बीच की कश्मकश को दिखाने के
वादे के साथ हुई थी जोकि सौ फीसदी एक भी अंक में नहीं दिखा।
अब धारावाहिक
का एक सीन सुनिए- सिमर की ननद का पति उसे छोड़कर चला गया है। उसे बेहद ज़लील करने
के बाद। इसी बीच मालूम चलता है कि करवा चौथ का व्रत आनेवाला है। सिमर और रोली फुल
स्पीड में उसकी तैयारी में हैं और पति से ठुकराई हुए ननद ने ये तय किया है की वो
भी ये व्रत करेगी। और, इस निश्चय को दर्शाने के लिए वो संवाद बोलती है- भाभी हम
उनकी ब्याहता हैं। हमारा उनके लिए व्रत करना हमारा धर्म हैं।
इस सीन और संवाद के बाद आपको लगेगा कि आप टीवी
उठाकर फेंक दे। लेकिन, टीवी आपने अपनी मेहनत की कमाई से खरीदा है इसलिए आप केवल
चैनल चेन्ज करके संतोष कर लेते हैं।
ये धारावाहिक सोमवार से शनिवार तक शाम साढ़े सात
बजे कलर्स पर आता हैं। और, इसके कई रीपीट भी है। आप ये सोच सकते हैं कि मैं इस
कार्यक्रम को क्यों देखती हूँ। क्यों नहीं मैं कोई बेहतर धारावाहिक या कार्यक्रम
देखती हूँ। दरअसल मैं टीवी पर आनेवाला खासकर हिन्दी में आनेवाला हरेक धारावाहिक और
कार्यक्रम को देखती हूँ। और, हरेक पर मेरी अपनी राय भी है। फिलहाल चल रहे कई
धारावाहिकों से मुझे ऐतराज़ हैं लेकिन, मेरी इस हेट लिस्ट में ससुराल सिमर का नबंर
एक पर है...
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