सफर के दौरान कई लोगों से बिना बातचीत के पहचान
हो जाती है। ऐसी पहचान जिसमें आगे भी कभी किसी बातचीत की गुंजाईश न के बराबर हो।
जब से दिल्ली मैट्रो में महिला कोच बना है मैं उसी में सफर कर रही हूँ जिसके चलते
कई महिलाओं को चेहरों से पहचानने लगी हूँ। कुछेक के साथ अब कुछ ऐसा है कि नज़रें
मिल जाए तो मुस्कुरा भी देती हूँ। इनमें से ही कुछ चेहरे ऐसे हैं जो मुझे हमेशा के
लिए याद हो गए है।
एक लड़की लगभग मेरी ही उम्र की बाराखंबा से चढ़ती
है। भरे-पूरे शरीरवाली ये लड़की वहीं किसी कंपनी में नौकरी करती होगी। औसत चेहरे
मोहरेवाली ये लड़की हमेशा फ्रेश-फ्रेश लगती है। लगता है अभी ही तयौर होकर घर से
निकली है। जब शाम को ऑफिस से लौटते हुए मेरी नज़र इस पर पड़ती है मन ही मन मैं सोचती
हूँ कि एक ये हैं जो ताज़गी से भरी हुई और एक मैं हूँ जो शाम होते-होते निचुड़ी
हुई-सी लगने लगती हूँ। खैर, ये मैडम हमेशा डिज़ाइनर सूट विथ मैचिंग ज्वैलरी तैयार
होती है। कभी ट्रैन में अंदर नहीं घुसती है भीड़ हो या ना हो। हमेशा गेट पर डटी
रहती हैं और स्मार्टवाले फोन पर अंग्रेज़ी गाने इतनी तेज़ आवाज़ में सुनती है कि
आसपास खड़े लोग भी उसका आंनद लेते रहते हैं....
दूसरी सहयात्री को तो जब मैंने पहली बार देखा था
तो लगा कुछ गलती हो गई है देखने में। फिर जब एक बार फिर देखा तो लगा ठीक ही देखा
था। इतनी बड़ी-बड़ी आँखें मैंने आजतक नहीं देखी। ऐसा लगता है कि चेहरा है ही नहीं
बस आँखें ही हैं। लेकिन, उन आँखों में चमक की कमी-सी महसूस होती है। मुझे वो एक दम
विरक्त और उदासीन-सी महसूस होती हैं...
दोपहर को जब ऑफिस के लिए निकलती हूँ तो माँ-बेटी
की जोड़ी बाराखंबा से कई बार मेरे साथ हो लेती हैं। बेटी शायद आसपास के ही किसी
स्कूल में पढ़ती है और माँ रोज़ाना उसे लेने जाती हैं। दोनों दिनभर के घटनाक्रम एक
दूसरे को बताते हुए सफर काटती हैं। माँ बीच-बीच में उससे पढ़ाई के एक दो सवाल भी
करती रहती हैं। बच्ची शाहिद कपूर की बड़ी मुरीद है। उसकी माँ ने उसे फटा पोस्टर
निकला हीरो दिखाने का वादा भी किया था। मालूम नहीं उसने देखी या नहीं...
इन सब में एक सहयात्री ऐसी है जिनका चेहरा मुझे
क्या सभी को याद रहता होगा। अगर वो मैट्रो में है तो सभी उन्हीं को देखते रहते
हैं। वो हमेशा प्रॉपर तैयार होती हैं। सब कुछ मैचिंग होता हैं। लेकिन, उनका पूरा
चेहरा झुलसा हुआ सा लगता है। एकदम काला और जला हुआ। सब चुपचाप और नज़रें चुराकर
उन्हें देखती रहती हैं और मन ही मन कयास लगाती रहती हैं। वो आराम से अपना बैठी
रहती है बीच-बीच में किसी-किसी से कुछ पूछती, बात करती हुई चलती है। अपने चेहरे पर
हुए रिएक्शन और उसके इलाज के बारे में भी बात कर लेती हैं। उनका ये स्वभाव ही है
जो मुझे हमेशा आकर्षित करता है। वो खुलकर बात करती हैं, अच्छे से तैयार होती है और
मज़े में ज़िंदगी जीती है...
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