मैं हर साल भूल जाती हूँ और पापा हर साल मुझे याद
दिलाते हैं। दरअसल 13 अगस्त को लेफ्ट हैण्डर्स डे मनाया जाता हैं यानि कि मेरे
जैसों लोगों का दिन। मैं पूर्णरूप से बाएं हाथवाली हूँ। लिखना, खाना, काम करना,
पूजा करना सब कुछ इसी हाथ से करती हूँ। मेरी मम्मी का मानना है कि मेरा दिमाग भी
उल्टा ही हैं। हर काम उल्ट करती हूँ। उल्टे हाथ से काम करते देखकर लोग कई बार
चौंकते हैं। कहीं कुछ लिखो तो- “अरे आप तो उल्टे से लिखती हो। ऐसे लोग तो
बहुत प्रतिभाशाली होते हैं, बड़े प्रखर होते हैं” और ऐसी ही
बातें… हालांकि यहीं मेरा इस हाथ से पूजा करना हर किसी को अखर जाता हैं।
मम्मी-पापा, भैया और भुवन के अलावा शायद ही कोई हो जिसने मुझे इस बात पर टोका ना
हो। उल्टे हाथ से काम करनेवाले कई परेशानियों से जूझते हैं। माउस का सीधे हाथ पर
होना, स्कूल-कॉलेज की सिंगल सीट जिसमें लिखने के लिए सीधे हाथ पर बोर्ड होता हैं
और मैट्रो में टोकन डालने और निकालेवाली मशीन और न जाने क्या-क्या... कई बार
मैट्रो की लाइन या एटीएम मशीन में मेरे पीछे खड़े लोग मुझे अजीब नज़र से देखते
हैं। कइयों को मेरे उल्टे हाथ में पकड़ा हुआ कार्ड नज़र ही नहीं आता हैं। खैर, एक
लैफ्ट हैण्डर के तौर बचपन से ही दुनिया के ये नियम मेरे लिए अजीब रहे हैं और
रहेंगे। मैं खुद को लकी मानती हूँ कि मुझे कभी उल्टे हाथ से लिखने, खाने, पूजा
करने या कुछ भी करने से मेरे मम्मी-पापा ने नहीं रोका। मेरी अभिव्यक्ति का सम्मान
किया। और, कई बार उन्होंने मेरे लिए लोगों से बहस तक की। सभी उल्टे हाथवालों को ये
दिन मुबारक।
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