शैम्पू बनानेवाली एक अंतर्राष्ट्रीय कंपनी के
विज्ञापन में प्रसिद्ध अभिनेत्री ये दावा करती हैं कि ये शैम्पू भारत की नब्बे
प्रतिशत महिला आबादी का पसंदीदा है। नब्बे फ़ीसदी का दावा उस देश में जहाँ की आधे
से ज्यादा महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन तक नहीं मिल पाते हैं। इसे हक़ीकत से कोसों
दूर विज्ञापन बनानेवालों का मानसिक दिवालियापन ही माना जा सकता है। महिलाओं की
सेहत से जुड़ी इस समस्या पर पढ़िए कल्पना मैम की ये रिपोर्ट...
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