Friday, June 28, 2013

रांझना मतलब धनुष, धनुष और धनुष...

काश सोनम कपूर को अभिनय करना आता। फिल्म की इंटरवल के बाद की लचर स्क्रीप्ट को सोनम के खराब अभिनय ने ऐसे चार चाँद लगाए कि फिल्म से मेरा मन उचट गया। पूरी फिल्म धनुष के कंधों पर टिकी रही। क्योंकि अभी उनके कंधे हिन्दी फिल्म के लिए नए हैं इसलिए वो भी फिल्म को कम से कम मेरे लिए तो नहीं बचा पाए... इसलिए फिल्म के बारे में बात करने से बेहतर है कलाकारों के बारे में बात की जाए....


पहले है धनुष जो पूरी फिल्म को अपने कंधों पर उठाए हुए हैं। कोलावरी डी से उत्तर भारत में मशहूर हुए धनुष की मेरे कई तमिल दोस्तों ने तारीफ़ पहले ही की थी। इसलिए इतना तो मालूम था कि अभिनेता वो बढ़िया ही है। अपने बेहद साधारण चेहरे-मोहरे के पीछे शानदार अभिनेता को दबाए धनुष ने बहुत प्रभावित किया। हालांकि उनका उच्चारण थोड़ा उलझाऊ बना लेकिन, पहली बार हिन्दी बोलने के हिसाब से अगर देखा जाए तो उन्हें पूरे नंबर दिए जाने चाहिए। उम्मीद है वो कुछ और हिन्दी फिल्में करेंगे।

दूसरी है सोनम कपूर। सुन्दर तो वो है ही, काश उन्हें अभिनय करना भी आता। उनकी आँखें और मुस्कान मुझे अनिल कपूर की याद दिलाती हैं और यहीं से समस्या शुरु हो जाती हैं। क्योंकि सोनल अपने पिता की तरह अच्छा अभिनय बिल्कुल नहीं कर पा रही हैं। लचर स्क्रीप्ट को सोनम के खराब ने ऐसा उभारा है कि एक बार भी ये नहीं लगा कि सोनम को प्यार भी हुआ था और उसकी तीव्रता इतनी थी कि उसके लिए उन्होंने फिल्म में इतना रायता फैला दिया। सोनम अपने लॉट (जिसमें दीपिका, सोनाक्षी, परिणिति और अनुष्का शामिल हैं) की सबसे कमज़ोर अभिनेत्री हैं।

स्वरा भास्कर ना सिर्फ़ बहुत सुन्दर हैं बल्कि वो अभिनेता भी बहुत अच्छी हैं। उन्हें कुछ और अच्छी फिल्में करना चाहिए।

ज़िशान अयूब को नो वन किल्ड जैसिका के बाद इसमें देखा। अपने शुरुआती दिनों में क्राइम पैट्रोल कर-कर के और फिर नो वन किल्ड जैसिका जैसी फिल्म के चलते उनकी शक्ल मेरे लिए तो एक गुण्डे की हो गई थी। लेकिन, इस फिल्म से उन्होंने साबित कर दिया कि वो बहुत बढ़िया अभिनेता है और जितने बुरे वो अच्छे हैं उतने ही अच्छे वो अच्छे हैं।

अभय देओल अच्छे अभिनेता है और उनके लिए कुछ करने को था ही नहीं।


शिल्पी और अस्मिता के बाक़ी कालाकारों से मैं निजी तौर पर मिल चुकी हूँ सो उनसे मुझे कुछ जुड़ाव महसूस हुआ। बाक़ी अरविंद गौड़ बहुत खराब अभिनेता हैं और उन्हें अगर अपनी साख बचाकर रखना है तो उन्हें फिल्मों में तो अभिनय बिल्कुल नहीं करना चाहिए...  


2 comments:

Unknown said...

Arvind Gaud ne kaun sa kirdaar nibhaya tha? Mujhe pata nhi chala.

Bhuwan said...

अरविंद गौड़ ने उस भ्रष्ट और टुट्पुन्जिए नेतावाला किरदार निभाया था।