अगर विज्ञापनों पर गौर से नज़र डाले तो कई ऐसे
विज्ञापन मिल जाएंगे जो लोगों को लालची बनना/बनवाना
सिखाते हैं। किसान जैम का ऊंगली घुमा के बोल, एवरेस्ट का टेस्ट में बैस्ट, रिनॉल्ट
स्काला कार का ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेगे और ऐसे ही कई विज्ञापन बच्चों को लालच
दिलवाना और लालच में आकर काम करवाना सिखा रहे हैं। किसान जैम के ऊंगली घुमा के बोल
वाले विज्ञापन में बच्चे को बैटिंग सिर्फ़ इस आधार पर मिल जाती हैं कि उसके टिफिन
में किसान जैम लगे रोल है। एवरेस्ट के तो बच्चोंवाले सारे के सारे विज्ञापन ही
लालच को आधार बनाकर तैयार किए गए है। टिफिन में ज़ायकेदार खाने के लालच में बच्चों
को किसी विशेष बच्चे का बैग उठाना उसका सारा काम कर देना लालच नहीं तो क्या है।
रिनॉल्ट की स्काला कार के विज्ञापन में तो ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेगें जैसे गाने
तक की भद्द पीट कर रख दी है। बिना किसी लालच या स्वार्थ को इंगित करते गाने को कुछ
ऐसे बच्चों पर दर्शाया गया है जो सिर्फ़ औप सिर्फ़ कार में बैठने के स्वार्थ के
चलते एक बच्चे से चिपके रहते हैं। आश्चर्य है कि ऐसे विज्ञापनों को बनानेवाले किस
सोच के साथ इन्हें बनाते हैं। शरीर की गंध के चक्कर में लड़कों के पीछे भाग रही
लड़कियों की चिंता करनेवालों की नज़र कैसे बच्चों को लालची बना रहे इन विज्ञापनों
पर नहीं जाती हैं।
लालच में आकर या लालच देकर काम करवाने तक तो बात सीमित थी
लेकिन, ह्युन्डई आई टेन के नए विज्ञापन ने तो हद कर दी है। बच्चे को अपने बाप पर
ही शर्म आती है। वो अपने पिता के साथ स्कूल तक जाने को तैयार नहीं होता है। लेकिन,
जैसे ही उसका पिता कार में बैठता है वो शाहरूख खान हो जाता है और बच्चा खुश...
बचपन में ऐसा कइयों के साथ होता है कि उन्हें माँ या पापा पर शर्म आती है और, वक्त
के साथ ये बचपना भी चला जाता हैं। लेकिन, ये विज्ञापन तो इस बचपने को और पनपाने,
और भुनाने का काम कर रहा है। अगर एक विज्ञापन के ज़रिए माता-पिता पर गर्व सिखलाना
एक मुश्किल काम है तो एक फालतू-सा कॉन्सेप्ट भी किसी बेहूदगी से कम नहीं हैं...
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