हमेशा से ही लड़कों के लिए टॉल, डार्क और हैण्डसम
जैसे शब्दों का प्रयोग होता रहा है। लेकिन, पिछले कुछ समय में बाज़ार ने इन उपमाओं
को बदलने की भरकस कोशिशें शुरु कर दी है। लड़कों के लिए अब बाज़ार में अलग क्रीम,
साबुन, शैम्पू और न जाने क्या-क्या उपलब्ध है। और, लड़के इसका ज्यादा से ज्यादा
इस्तेमाल करे इस लिए सुन्दर लड़कियों का इस्तेमाल करते हुए अजीबोगरीब विज्ञापन भी
तैयार हो रहे है। ऐसा ही कुछ है आज के टाइम्स ऑफ़ इंडिया में ख़बर की शक्ल में एक
विज्ञापन छपा है। इस ख़बरिया विज्ञापन के ज़रिए लड़कियाँ लड़कों की दाढ़ी के बारे
में क्या सोचती है ये बताया गया है। शेविंग क्रीम के इस विज्ञापन में लड़कियों को
सोचने के लिए कहा गया है कि क्यों लड़के ऑफ़िस दाढ़ी बनाकर जाते है और शाम को
घूमते जाते वक़्त क्यों नहीं करते हैं। मतलब कि लड़ाई ना भी हो तो ये विज्ञापन
करवा दे। जिस मुद्दे के बारे में लड़की ने कभी सोचा भी न हो उस मुद्दे पर वो मुंह
फुला ले। साथ ही साथ इस विज्ञापन में दिन में दो बार दाढ़ी बनाने के फायदे डॉक्टर
के ज़रिए भी समझाए गए है। विज्ञापन और डॉक्टरों की सांठ-गांठ के चलते ही दो बार
ब्रश करने का नियम तो लोगों ने बना ही लिया है अब दाढ़ी बनाने का नियम भी ये बनाने
की योजना है। उत्पाद को बेचने का ये तरीक़ा सबसे कारगर माना जा सकता है। लोगों में
स्वास्थ्य खराब होने और सामाजिक रूप से पिछड़े होने का भय पैदा करके उत्पाद को
आसानी से बेचा जा सकता है। कमज़ोर मन के लोग आखिर हर जगह होते हैं। हालांकि इस
विज्ञापन में एक और बिन्दु मज़ेदार है। लड़कियाँ जिन सुन्दर, स्पॉटलेस और चिकनी
दिखने के दबावों से सालों से गुज़र रही है शायद उनका अहसास अब लड़कों को भी होगा।
1 comment:
शानदार... लड़कियाँ जिन सुन्दर, स्पॉटलेस और चिकनी दिखने के दबावों से सालों से गुज़र रही है शायद उनका अहसास अब लड़कों को भी होगा।... मार्केटिंग वालों को ऐसे ही लाखों की सेलरी नहीं दी जाती....
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