Saturday, April 28, 2012
जब "भगवान" सांसद बने
क्रिकेट के शहंशाह कहिए...महायोद्धा.. दिलेर... दबंग या फिर भगवान....या जो भी सर्वश्रेष्ठ उपाधि जंचे.. उससे अलंकृत कीजिए... अपने तेंदया यानी सचिन तेंदुलकर को... हम टीवी के तथाकथित पत्रकार कुछ ऐसा ही करते हैं अपनी ख़बरों में..जिसने जितना भोकाली शब्द ईज़ाद किया... उसकी स्क्रिप्ट उतनी शानदार...ख़ैर..
हां तो भई सचिन तेंदुलकर अब सांसद सचिन तेंदुलकर जी हो गए... अरे अब शपथ लेनी ही तो बाकी है... वो भी एकाध दिन में ले लेंगे.. राष्ट्रपति ने मंज़ूरी दे दी... अधिसूचना जारी हो गई.. सचिन ने भी हामी भर दी.. और सबसे बड़ी बात यूपीए और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस पर अपनी मुहर लगा दी...तो बचा क्या ? इस सत्र के आख़िर में या फिर अगले सत्र में सचिन को शपथ भी दिला दी जाएगी..
अब सवाल उठता है कि सरकार यानी कॉन्ग्रेस सचिन को राज्यसभा भेजने के पीछे क्यों लगी.. और सचिन इसके लिए तैयार कैसे हो गए ? क्या कॉन्ग्रेस हॉकी के जादूगर ध्यानचंद को भारत रत्न देने जा रही है.. जिसके एवज में सचिन को राज्यसभा का लॉलीपॉप दिया गया... या सचिन रूपी फेयरनेस क्रीम से वो अपना दागदार चेहरा साफ करने की कोशिश कर रही है। क्रिकेट में सचिन की ईमानदारी पर कोई सवालिया निशान नहीं लगा सकता.. क्या कॉन्ग्रेस सचिन की इस छवि का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है ? कॉन्ग्रेस की मंशा चाहे जो भी हो.. लेकिन उसके इस कदम से दूसरे दलों को मन ही मन मिर्ची ज़रूर लग रही होगी.. कि काश ये 'आइडिया' उनके थिंक टैंक के पास आया होता.. तो सारी वाहवाही उन्हें मिल रही होती। भले ही अभी वो सचिन के राज्यसभा में आने का स्वागत कर रहे हों...लेकिन अंदर ही अंदर तो सुलग रहे होंगे।
अब बात सचिन की.. आख़िर वो कैसे कॉन्ग्रेस के इस मोहजाल में फंस गए ? और सचमुच फंस गए या फंसाए गए ? बताया जा रहा है कि सचिन के पास ये प्रस्ताव करीब चालीस दिन पहले ही भेजा गया था...लेकिन सचिन ने इसपर हामी नहीं भरी। लेकिन जब गुरूवार को सोनिया गांधी से मिलने गए... और उन्होंने सचिन से सांसद बनने के लिए कहा तो वो इनकार नहीं कर सके। भई इनकार करते भी कैसे... सोनिया गांधी ने जो कहा था..सो वहीं तय हो गया कि बस अब सचिन उच्च सदन के माननीय सांसद ज़रूर बनेंगे।
सवाल एक और है.. वो ये कि सचिन राज्यसभा की कार्यवाही में भाग ले पाएंगे... और लिया भी तो करेंगे क्या ? क्रिकेट के हर फॉर्मेट में लगातार खेलने वाले सचिन... विज्ञापन की दुनिया में चमकते सितारे सचिन के पास इतना वक्त रहेगा कि वो दिल्ली आकर राज्यसभा में अपनी हाजिरी लगाए... जनता के हितों के सवाल पूछें.. बहस करें.. ? मुझे तो संदेह है। भले खेल के क्षेत्र से सचिन ऐसे पहले हों...लेकिन पहले भी ऐसी कई नामी गिरामी हस्तियों को राज्यसभा के लिए नामित किया गया है... लेकिन वो केवल शो पीस बनकर ही रह जाते हैं। राज्यसभा में लता मंगेशकर, हेमा मालिनी, दारा सिंह, विजय माल्या, राहुल बजाज, श्याम बेनेगल, शबाना आज़मी, जावेद अख़्तर जैसे फिल्म और उद्योगपतियों को भी जगह दी गई.. लेकिन उसका कोई सकारात्मक परिणाम नज़र नहीं आया। इनमें से ज्यादातर लोग सदन की नब्बे फीसदी कार्रवाई में शामिल नहीं होते..प्रश्न पूछता तो दूर.. किसी चर्चा में हिस्सा नहीं लेते..कुछ ऐसा ही हाल लोकसभा में चुने गए हाईप्रोफाइल सांसदों का भी है.. गोविंदा.. विनोद खन्ना.. धर्मेंद्र.. ये फिल्मी दुनिया के स्टार सदन में कभी कभार ही चमकते दिखाई दिए। राज्यसभा में मनोनित सदस्यों में हर क्षेत्र में अच्छा काम करने वालों को चुना जाता है.. ऐसे में चुने गए लोगों से भी उम्मीद रहती है कि वो संसद में आने के बाद अपने क्षेत्र के साथ ज्यादा से ज्याद इंसाफ करें.. लेकिन अफसोस की बात ये है कि इनमें से ज्यादातर लोग सिर्फ तमगा हासिल कर अपनी जिम्मेदारियों से मुहं मोड़ लेते हैं।
काश सचिन कुछ अलग करें।
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