कई बार हम गंभीर बात को यूं ही मज़ाक में बोल जाते हैं। किसी चुभती हुई सच्चाई को हम यूं ही आते जाते बोल जाते हैं। ऐसा ही कुछ है एक बाइक विज्ञापन जोकि विशेषकर महिलाओं के लिए बनाई गई हैं। इस बाइक के विज्ञापन की टैग लाइन है- वाय शुड बॉयज़ हैव आल द फ़न... इस विज्ञापन में दिखाया है कि कैसे बेटे के घर से बाहर निकले पर उसकी माँ से लेकर कोई और उससे ये नहीं पूछता है कि वो कहाँ और क्यों जा रहा हैं। वही जब घर की बेटी से बाहर निकलती हैं, उस पर सवालों की बौछार हो जाती हैं। लड़की बहुत ही आसानी से सारे जवाबों से झूझती हुई बाहर निकल आती है जहाँ बाहरवालों के सवाल उसका इंतज़ार कर रहे होते हैं। ऐसे में लड़की ये सवाल करती है कि वाय शुड बॉयज़ हैव आल द फ़न...
बात बहुत ही आसान शब्दों में कहीं गई हैं और बहुत ही आसान सिचुएशन में ढ़ाली गई हैं। लेकिन, वो इतनी आसान है नहीं। इस बात में कही पेंच है। लड़की के लिए इतना आसान नहीं घर से बाहर निकलना और सवालों को यूं ही हवा में उड़ा देना। मैं आज भी अपने घर ऑफिस से निकलते समय और रूम पहुंचकर फोन करती हूँ। एक भी दिन ऐसा नहीं किया तो माँ की शिकायत की बताया क्यों नहीं। मां एक महिला होकर भी मुझ पर ये पाबंदी लगाती हैं कि मैं उन्हें हरेक बात बताऊं। वही अगर भैया कही बाहर होता तो ये उसके मन और मर्ज़ी की बात होती कि वो कब फोन करेगा कब नहीं। खैर, मेरी हालत तो फिर भी ठीक है मेरी कई दोस्त तो ऐसी है जो कि घर से बाहर भी नहीं निकल पाती है और निकलती भी है तो पिता या भाई की निगरानी में होती है। ऐसे में मस्ती केवल लड़कों के लिए क्यों? इससे बढ़कर सवाल होता है कि जीना केवल लड़कों के लिए क्यों... मस्ती तो बहुत ही बाद का सवाल है। विज्ञापन हमारे समाज की एक बहुत ही कड़वी और बदसूरत सच्चाई को आईना दिखाता हैं। काश बेटियों के लिए बाइक खरीदनेवाले ये बात भी साथ में समझे कि बेटियों को केवल बाइक नहीं बल्कि, आज़ादी और उनका विश्वास भी चाहिए...
2 comments:
my openion are exactly the same as yours.....
इसमें विश्वास की बात नहीं बल्कि चिंता की है... आपकी माता जी इसलिये शिकायत नहीं करती हैं कि आपने उन्हें अपने औफ़िस और रूम पर पहुँचने की खबर नहीं दी बल्कि इसलिये करती हैं क्योंकि आपकी खबर उनके पास न पहूंचने पर उन्हें आपकी चिंता लगी रहती है।
मैं ऐसा इसलिये कह सकता हूं कि मेरा भी यही हाल है। मुझे भी अपनी माँ को हर चीज़ के बारे में फ़ोन करके बताना पड़ता है।
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