कुछ दिन पहले मुझे आज़ादी की एक नई कहानी पर काम करने का मौक़ा मिला। मुझ से पूछा गया कि आपको आज के वक़्त में आज़ादी से जुड़ी हुई क्या बात या काम अलग लगता है। मुझे याद आई आज़ादी के दिन दिल्ली के आसमान में उड़ती पतंग। मेरी लिए ये एकदम अलग और अनोखी बात थी। मैंने कही भी 15 अगस्त के दिन पतंग उड़ाते किसी को नहीं देखा था। मैंने इसी विषय को अपनी स्टोरी के लिए चुना और पहुंची कुछ ऐसे लोगों के पास जिनके लिए इस दिन पतंग उड़ाने का अर्थ है आज़ादी मनाना। इनका मानना है कि पतंग जिस आज़ादी से हवा में लहराती है वैसे भी हरेक मन हवा में उड़ना और हरेक बंधन से आज़ाद होना चाहता हैं। इसके बाद हम पहुंचे पुरानी दिल्ली के लालकुंआ इलाक़े में। वहां बिकती है ये पतंग। पूरी दिल्ली में यही से पतंग जाती हैं। ये पतंग का थोक बाज़ार हैं। यहां आकर और लोगों से मिलकर मालूम चलाकि कितना बड़ा हैं पतंग का व्यवसाय। इसी विषय पर बनी मेरी रिपोर्ट लोकसभा टीवी के विशेष कार्यक्रम आजादी की नई कहानी में चली हैं। अगर आप इसे देखेंगे तो अच्छा लगेगा।
लिकं है - http://www.youtube.com/watch?v=9ADJS_RBfuk
1 comment:
धन्यवाद दीप्ति..
आपने मुझे बचपन की याद दिला दी. बचपन में मैं भी १५ अगस्त को पतंग उड़ाया करता था, हमारे शहर गया (बिहार) में १५ अगस्त से पतंगे उडनी शुरु होती थी और शिवरात्रि के दिन खत्म हो जाती थी.
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