उम्र कुछ चालीस के आस पास.. दुबला शरीर, चिकुटा चेहरा और खिचड़ी बाल.. लादेन कुछ ऐसा ही दिखता है. हमारे दफ्तर के सामने की सड़क पार वो ट्रक के टायरों पर अपनी चाय की दुकान चलाता है. सिर्फ हमारे ऑफिस में ही नहीं आसपास के पूरे इलाके में लोग उसे अच्छी तरह से जानते हैं! जहाँगीर पुरी के उस इलाके में उस जैसी बेहतरीन चाय कहीं नहीं मिलती. शीशे के ग्लास में चाय और ग्लास एक कप में.. ताकि पीने वालों के हाथ न जले. चाय तो अच्छी होती ही है उसका अंदाज़ भी दूसरे चाय वालों से काफी जुदा है. चाय अच्छी मिलती है तो इसके फायदे के साथ-साथ नुकसान भी उसे उठाने पड़ते हैं. लेकिन हर मर्ज़ की दवा है उसके पास. पुलिस वालों की रोज़ाना दुकान पर जमने की लत छुड़ाने के लिए उसने दुकान खोलने का समय ही बदल डाला. कुछ दिन तक हम भी परेशान रहे की आखिर लादेन गया कहा ? थोड़े दिनों बाद मिला और पूछने पर बड़ी लापरवाही भरे अंदाज़ में जवाब दिया.. इन स्सालों... की आदत छुड़ानी थी बस. रविवार को लादेन अपनी दुकान नहीं खोलता है.. वजह दूरदर्शन पर उसे फिल्म देखनी होती है. उस दिन वो सारे काम छोड़ कर फिल्म देखता है. उसे चाय बनाने में देर नहीं होती लेकिन ज्यादा हड़बड़ी वाले ग्राहकों को वो मना कर देता है. सामने वाला खुद ही कहता है ठीक है भई बनाओ जितनी देर में बनोगे. इतना सब होते हुए भी उसकी दुकान पर आने वालों में कमी नहीं होती. तकरीबन दो साल से लादेन की दुकान में चाय पी रहा हूँ लेकिन आज तक उससे कभी ठीक से बात नहीं हुई. वो बस अपने में खोया हुआ चाय बनता रहता है.
5 comments:
बाप रे बाप .........ऐसा?.......
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विलुप्त होती... .....नानी-दादी की पहेलियाँ.........परिणाम..... ( लड्डू बोलता है....इंजीनियर के दिल से....)
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_24.html
वो चाय पिलाता है, घर चलाता है।
एक दूसरा लादेन है, अमेरिका को पानी पिलाता है
डराता है, धमकाता है। जिन्दा या मरे होने का भ्रम बनाता है। चाय का स्वाद बरकरार रहे।
हूम्म्म्म.... लादेन जैसे न जाने कितने ही होंगे...! अपने काम में महारत रखने के बावजूद... धंधे के गिद्धों की आदत छुड़ाने की कोशिश करते हुए...!!!!
भई शानदार चाय के लिए इंतजार तो करना ही पड़ेगा न....
जहाँगीर पुरी में कहाँ है भई ये लादेन भाई की चाय की दुकान?
मैं आदर्श नगर में रहता हूँ तो अब तो लादेन भाई कि चाय ज़रुर ही पीनी है...
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