कल रात दस बजे सब टीवी देखा- लापतागंज, शरद जोशी की कहानियों का पता... इस धारावाहिक का विज्ञापन कई दिनों से चैनल पर चल रहा था। पहली बार जब देखा तो शुरुआत कुछ मज़ेदार लगी लेकिन, जैसे ही ये सुना कि शरद जोशी की कहानियों का पता तो मन खुश हो गया। मेरे पापा के मुताबिक़ मैं शरद जोशी से कई बार मिली हूँ। पापा जब भी उनसे मिलने जाते मुझे साथ ले जाते थे। लेकिन, मुझे कुछ याद नहीं मैं बहुत छोटी थी उस वक़्त। फिर भी मैं उन्हें जानती हूँ उनके व्यंग के ज़रिए। सीधी भाषा में वो मेरे फ़ेवरेट हैं। खैर, लापतागंज का इतंज़ार मैं ही नहीं मेरे घर के सदस्य और कई दोस्त भी कर रहे थे। डेंगू के वजह से मैं कई दिनों तक घर पर ही थी उसी वक़्त रोज़ाना इस धारावाहिक को लेकर कोई न कोई बात हो ही जाती थी। कल जब इसकी पहली कड़ी देखी तो सच में लगा कि इन टीवी चैनलों की दुनिया में उम्मीद अभी बाक़ी है। बेहतरीन कलाकारों के साथ सटीक स्क्रीप्ट के सहारे इतना बेहतरीन व्यंग मुझे याद नहीं पर्दे पर पिछली बार कब देखने को मिला था। रीयलिटी टीवी के इस दौर में जहाँ टीवी पर सुकून खोजना बेकार है और कुछ गुदगुदी के लिए लाऊड कॉमेडी सीरियलों का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे में लापतागंज देखने के बाद लगा कि कुछ ऐसे कलाकार और निर्माता आज भी है जोकि प्रतिस्पर्धा के इस दौर में भी गुणवत्ता से समझौता नहीं कर रहे हैं। बस अब एक उम्मीद और कि ये टीवी से बेहतर कि ये जो उम्मीद जागी है ये कायम रहे...
3 comments:
मैं भी अपने कुछ दोस्तों के साथ इस प्रोग्राम का इन्तेज़ार कर रहा था.. इसके प्रोमोस उत्सुकता तो पहले ही जगा चुके थे,, प्रोग्राम देखकर मन भी खुश हुआ.. देखते है आगे क्या होता है..
Khaas baat ki Neha Joshi ko Laapata Ganj ka pataa maalum hai :)
ज्जे बात..
Post a Comment