Monday, August 17, 2009
शहीदों को याद करने का एक तरीक़ा ये भी...
इंसान अपने खाली वक़्त और प्रतिभा का कैसे और कितना उपयोग कर सकता हैं, ये पूरी तरह से उस इंसान पर निर्भर करता हैं। आज मैं मिली आदित्य से। आदित्य बक्शी, उम्र कोई तीस साल, मर्चेन्ट नेवी में फ़र्स्ट ऑफ़िसर। लेकिन, ये आदित्य की असली पहचान नहीं। आदित्य ने एक नई शुरुआत की है, वो हमारे देश के शहीदों पर किताबें लिख रहे हैं। किताबें भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि कॉमिक बुक लिख रहे हैं। आदित्य ने फिलहाल कैप्टन विक्रम बतरा पर कॉमिक लिखी है। आदित्य ये काम उस वक़्त करते हैं जब वो शिप नहीं होते हैं। अपनी इस निरस सी दिखनेवाली नौकरी को आदित्य ने एकदम रोचक बना दिया है। आदित्य बताते हैं कि उन्हें पढ़ने लिखने का बहुत शौक़ है और 6 महीने जब वो शिप पर रहते हैं वो किताबें पढ़ते रहते हैं। किसी भी ऐसे इंसान से मिलना अपने आप में बहुत ही रोचक होता है। आदित्य के इस काम में उनकी पत्नी और उनके पिता पूरा सहयोग देते हैं। आदित्य के पिता जो कि ख़ुद एक सेना अधिकारी के पद पर रह चुके हैं आदित्य को सेना से जुड़ी बारिकियों को सुलाझने में उनकी मदद करते हैं। विक्रम बतरा आदित्य के पिता मेजर जनरल बक्शी की रेजीमेंट से ही थे। यही वजह है कि आदित्य को विक्रम को क़रीब से जानने का मौक़ा मिला। आज दिन भर मैं बक्शी परिवार से साथ थी। भारतीय सेना से जुड़े इस परिवार से मिलकर मुझे मालूम चला कि कैसे देशभक्ति कुछ लोगों के शरीर में ख़ून बनकर दौड़ती हैं। आदित्य बेशक़ सेना में नहीं गए लेकिन, उनका ये तरीक़ा भी सेना में जाने से कम नहीं। आदित्य से जब मैंने ये पूछा कि क्यों नहीं कोई किताब लिखी या कोई टीवी सीरियल बनाया, तो आदित्य ने कहा कि असल में कॉमिक एक ऐसी किताब है जो कि सालों तक आपके साथ रहती हैं। बचपन में खरीदी हुई कॉमिक आप हमेशा अपने साथ रखते हैं, अपने बच्चों को पढ़ाते हैं। आदित्य की ये बात सच भी है। फिलहाल आदित्य ने विक्रम बरता पर ही कॉमिक लिखी है वो भी ब्लैक एण्ड वाइट में लेकिन, अब आदित्य इसे रंगीन कर रहे हैं और कई और जवानों पर कॉमिक लिख रहे हैं। आदित्य अपनी इन कॉमिक्स के लिए शहीद के परिजनों, दोस्तों और साथ काम करनेवालों से पूरी बातचीत करते हैं। इसके बाद उसे कॉमिक्स के फॉ़र्मेट में ढालते हैं। आदित्य अब मेजर संदीप उन्नीकृष्णनन् और एन. जे. नायर पर कॉमिक लिख रहे हैं। हालांकि आदित्य की ये कॉमिक्स फिलहाल इसी मार्केटिंग न हो पाने के चलते बहुत लोकप्रिय नहीं हो पाई हैं लेकिन, उन्हें उम्मीद है कि इसे लोग पसंद करेंगे। आदित्य की ये कॉमिक फिलहाल आपको दिल्ली के ओम बुक स्टोर पर पढ़ने के लिए मिल जाएगी। अगर आप मेजर विक्रम बतरा को और ज़्यादा जानना चाहते हैं और ये चाहते हैं कि आपके बच्चे उन्हें जाने तो ये कॉमिक्स ज़रूर पढ़े...
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यादों के झरोखे से...,
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1 comment:
ये एक अच्छी पहल है।
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