Monday, July 6, 2009
मैं और माँ का गर्व
पोस्ट के शीर्षक को देखकर आपको लग रहा होगा कि शायद मैंने ऐसा कुछ किया है कि मेरी मम्मी को मुझ पर गर्व हो। लेकिन, अफ़सोस ऐसा कुछ नहीं है। दरअसल मुझे पिछले एक साल से एक स्कूल से लगातार मैसेज आते रहते हैं। कभी स्कूल के एडमिशन के सिलसिले में, तो कभी स्कूल में शुरु हो रही किसी नई स्कीम का मैसेज होता है, कभी बेबी शो का। ये मैसेज ख़ासकर रविवार को आते हैं। मुझे आजतक ये समझ नहीं आया कि ये मैसेज मुझे क्यों आते हैं। बच्चों को कैसे कोई नई बात बताएं या फिर कैसे कुछ नया समझाए सबकुछ ये स्कूल मुझे मैसेज के ज़रिए समझा रहा है। कई बार मुझे गुस्सा आता है कि क्या मज़ाक है। डू नॉट डिस्टर्ब में ख़ुद को रजिस्टर करने के बाद भी मेरे पास ऐसे मैसेज आते हैं। यही नहीं कुछ सोना बेल्ट के मैसेज भी आते है जिनमें वज़न कम करने की गारंटी दी जाती है। कभी कभी बिजली बचाओ के मैसेज आते हैं। चुनावों के मौसम में कुछ प्रत्याशियों के भी मैसेज आते थे। इन मैसेज से मैं परेशान हो चुकी हूँ। एक तो इन मैसेज का कोई नम्बर नहीं होता हैं और दूसरी बात ये कि इनको बंद करने का कोई तरीक़ा भी मुझे नहीं आता है। कई बार मैं ये सोचती हूँ कि किस लिहाज़ से ये लोग ये एसएमएस करते होंगे। कैसे ये चुनते होंगे कि किन लोगों को हमें क्या मैसेज करना हैं। मुझे एक गौरवान्वित माँ बनाने की कोशिशें करते इस स्कूल ने आखिर किस बुनियाद पर मेरा नम्बर चुना होगा। कई बार ये लगा है कि इस स्कूल में जाया और उन्हें ये समझाया जाए कि आप इतनी मेहनत से एक बड़ा ही प्राभावशाली मैसेज बनाते है और फिर उसे इतने सारे लोगों में भेजते हैं तो कम से कम ये तो देख ले कि सामनेवाले को इसकी ज़रूरत है भी या नहीं...
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ये जो है ज़िंदगी...
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4 comments:
दिल को छू गयी आपकी रचना।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
१०००० को भेजेंगे, ५०० भी सही टकरा गये तो इनका काम बन गया. अब आप परेशान हों या खुश, इससे इनका सारोकार कहाँ.
छुटल्ली मगर प्यारी सी पोस्ट...मैं तो यही कह पाऊंगा इसे पढ़ कर। वजह!!! मेरी चिढ़ को शालीन अभिव्यक्ति जो मिल गई:)
गुडगुडजी। अच्छी पोस्ट।
waah waah
achhi post !
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