Monday, May 18, 2009
आकाश मर गया...
दो दिन पहले मम्मी ने बातों-बातों में बताया कि आकाश मर गया। मैंने चौंकते हुए पूछा कि कैसे अभी तो छोटा ही है वो। तो मम्मी ने कहा कि उन्हें भी बहुत दिन बाद पता चला। मंदिर में हफ़्तेभर की भागवत हुई थी आखिरी दिन भंडारे में जब आकाश नहीं दिखा तो मम्मी ने पता किया उसके बारे में। मम्मी ने बताया कि वो उन्हें कुछ दिन पहले मिला था मंदिर के पास। एकदम दुबला हो गया था। बता रहा था कि डॉक्टर ने कहा है पेट में कैंसर हो गया है। मम्मी ने उससे कहा कि चल हम तेरा इलाज करवाते है, लेकिन उसने मनाकर दिया बोला कि डॉक्टर ने बोला है कि मैं मर जाऊंगा। मम्मी लगातार बताते जा रही थी। मम्मी ने बताया कि कुछ दिन आया था खाना लेने घर पर। कुछ खाना खा लेता था, कुछ बचाकर ले जाता था बोलता था बाद में खाऊंगा। मम्मी ने बताया कि शायद अम्बेडरकर जयंती के दिन मरा है वो। इसके बाद फोन पर मम्मी से एक-दो इधर-उधर कि बातें हुई और मैंने फोन रख दिया। इसके बाद से ही आकाश का चेहरा मेरे आगे घूमता रहा। आकाश भोपाल में मेरे घर के आगे मैदान में अपने बाप के साथ रहने आया था। शायद दो साल का था वो उस वक़्त। नंगे बदन मैदान में भागता रहता था। दोनों बाप-बेटे मैदान में ही रहते थे। पेड़ के नीचे सो जाते थे। कचरा बीनकर और घर-घर जाकर खाना खाते थे। पहले मोहल्लेवालों ने उनके यूँ वहाँ अचानक रहने का विरोध किया। लेकिन, फिर आकाश इतना प्यारा था कि सबने उन्हें वहाँ रहने दिया। मम्मी हमेशा आकाश को बुलाकर खाना देती थी। गर्मियों में पना पिलाती थी और ठंड में चाय। मम्मी ने कई बार कोशिश भी की, कि वो किसी अनाथालाय में चला जाएं लेकिन, उसके बाप ने ऐसा नहीं होने दिया। आकाश का बाप एक पियक्कड़ था, पत्नी के मरने के बाद पता नहीं कहा से वो आ गया था। इस बीच आकाश बड़ा होता गया। उसने भी कचरा बीनना शुरु कर दिया, किसी एक्सिडेन्ट के चलते उसके पैर की ऊंगलियाँ भी कट गई थी। शराब पीने लगा था, गुटखा भी खाता था। 12 साल का होते होते उसने अपनी एक अलग दुनिया बना ली थी। वो किसी से बात नहीं करता था। मम्मी बुलाती रहती थी नहीं आता था। बाप से खूब झगड़ता था। एक दिन उसका बाप मर गया। उसके बाद वो कही गायब सा हो गया था। कभी-कभी अचानक दिखाई दे जाता था। बात करना उसने बिल्कुल छोड़ दिया था। आकाश की उम्र अभी 18 के आसपास होगी। आकाश मर गया। वो शायद पैदा ही हुआ था मरने के लिए। अपनी इतनी छोटी सी उम्र में उसने दुनिया की गंदगी को पूरी तरह से देख लिया था। इतनी सी उम्र में वो ही बहुत बड़ा हो गया था। हमारे आसपास ऐसे कई आकाश मौजूद हैं। जो पैदा ही होते है मरने के लिए। लेकिन, आज भी मुझे वो दो साल का आकाश याद है जो मैदान में खेलता रहता था। कुछ बोलो तो शर्मा जाता था। तब शायद वो नहीं जानता था कि वो मरने के लिए पैदा हुआ हैं....
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नज़रिया
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6 comments:
bahut hi bhaavporna rachna hai.sach hi hai ki hamaare desh main kai aakash marne ke liye paida hote hain,jinhe hamse kuch pal ki khusiyaan mil jaatin hain.
bahut hi badhiya lekh hai....jo ki jivan ki sachaiyon ko bayaaan karta hai.
मार्मिक पोस्ट.
aise kai aakash hain jo delhi me bhi mil jayenge ... lekin we yahan marne nahin jine ki jaddojahad karne aaye hain,
rajan
wo desh ka bhawishya tha... jo desh ke bigadte halaat dekh kar dar gaya or wapas wahin chala gaya , jahan se aaya tha....
rajan
देश और दुनिया में न जाने कितने ही आकाश दम तोड़ देते हैं. वक्त की तपिश ने मासूम आकाश से उसका भोलापन छीन कर उसे बेरहम दुनिया के बीच छोड़ दिया.. और उससे लड़ता भिड़ता आकाश आखिरकार अपनी जिंदगी की ज़ंग हार गया.
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