मुंबई हमलों में पकड़े गए इकलौते जिंदा आंतकवादी आमिर अजमल कसाब पर छियासी आरोप तय किये गए हैं. इनमे भारत के खिलाफ ज़ंग छेड़ने, हत्या, हत्या की कोशिश, साजिश, रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुँचाने, बिना वैध पासपोर्ट के भारत आने, हथियार और आरडीएक्स रखने और मुंबई के कई स्थानों पर गोलीबारी करने के मामले शामिल हैं. अगर ये आरोप साबित हो जाते हैं..जिसकी पूरी उम्मीद की जा सकती है..तो कसाब को सजा ए मौत सुनाई जा सकती है. अब सवाल उठता है की क्या होगा कसाब को फांसी की सजा सुना कर. सजा तो अफजल गुरु को भी सुनाई गई..लेकिन क्या हुआ. अफजल को संसद पर हुए हमलों के आरोप में मौत की सजा मिली है. सुप्रीम कोर्ट से सजा पर मुहर लगने के बावजूद मामला बस राजनीतिक रोटियां सेंकने का तवा बन गया है. हमले में शहीद हुए जांबाजों के परिवारवालों ने अफजल को फांसी नहीं देने पर नाराज़गी दिखाते हुए शहीदों को मिले सम्मान लौटा दिए लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ा. कहा गया मामला विचाराधीन है. साल दर साल बीतते गए. अब कसाब है.. सुनवाई चल रही है.. कुछ महीनों या सालों में फैसला आ जायेगा. सवाल ये उठता है की क्या कसाब मामले का भी वही होगा जो अफजल मामले के साथ हुआ.
दरअसल ये पूरा मामला राजनीतिक पैतेरेबाजी में फंस गया है. एक तरफ तथाकथित हिंदुत्व है तो दूसरी तरफ तुष्टिकरण की राजनीति. और इन सब के बीच पीसती जनता. देश को चलाने वाले नेता चाहे वो किसी भी दल के हो.. उन्हें इस मामले से जुड़े लोगों की भावनाओं की जरा भी क़द्र नहीं है. ये इतना भी नहीं सोचते की आतंकियों को पकड़ने, उन्हें मार गिराने में हमारे देश के न जाने कितने जांबाज़ सिपाहियों की बलि देनी पड़ती है. इस तरह मामला लटकाए रखने या फिर उन्हें कंधार जाकर छोड़ आने जैसे मामले उनके हौसलों को कमजोर करता है.
1 comment:
करना क्या है..बस जेल से छोड़ दो
लोग अपने आप कर लेंगे जो करना है.
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