Sunday, May 3, 2009

आपने देखा है ज़ू ज़ू को ?

कम्पनियाँ विज्ञापन क्यों बनती है ? क्यों इतना प्रचार-प्रसार करती हैं ? बहुत आसान सा जवाब है अपने उत्पाद यानि प्रोडक्ट को बेचने के लिए. विज्ञापन बनाने के पीछे सोच ये होती है की विज्ञापन ऐसा हो की जब वो किसी प्रोग्राम के बीच में दिखाया जाये तो दर्शक चैनल चेंज न करे.. उसे ही देखता रहे..बंधा रहे. कई विज्ञापन दिल को छू जाते है..तो कई हमारे सामने कुछ बड़े सवाल छोड़ जाते है.... कुछ विज्ञापनों को देख कर चैनल बदलने वाली उंगलिया खुद ब खुद ठहर जाती हैं. लगता है इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता..लेकिन ऐसा नहीं होता. विज्ञापन की दुनिया से जुड़े क्रिएटिव लोग हर थोड़े दिनों पर कुछ ऐसा ही खोज निकालते हैं की बस आप और हम देखते रह जाएँ. ह्च का कुत्ते वाला एड देख कर मजा आ जाता था.

-ह्च का कुत्ता

जहाँ-जहाँ बच्ची जाती कुत्ता भी साथ जाता.. कभी जुराबें तो कभी मछली पकड़ने का जाल ढूंढ कर लाता. फिर इरफान आये.. और कहा तोड़ो तोड़ो अपना ही घर है... वोडाफोन के एड की सृजनात्मकता यही तक नहीं है. अभी हमारे टीवी स्क्रीन पर चल रहे कंपनी के विज्ञापन भी कई मायने में बेमिसाल हैं. विज्ञापन में जो कैरेक्टर आपको नज़र आते है उनका नाम है ज़ूज़ू.


- ये हैं ज़ू ज़ू


आपको भी ये जानकर सुखद आश्चर्य होगा की देखने में कार्टून या एनीमेशन लगने वाले ये ज़ूज़ू हकीकत में इंसान हैं. हमने इससे पहले कार्टून्स को इंसानों की तरह कामकाज और बातचीत करते तो देखा है पर शायद ये पहला मौका है जब इंसानों को कार्टून्स की शक्ल में देख रहे हैं. ये विज्ञापन प्रयोगात्मकता और सृजनात्मकता के बेहतरीन उदाहरण तो है ही साथ-साथ इंसानों के बनाये हुए कार्टून्स और एनीमेशन के इंसानों पर पड़ते प्रभाव को भी दर्शा रहे है. इन सब के अलावा विज्ञापन में काम करने वाले कलाकारों के अभिनय की भी दाद देनी होगी.. अगर बताया न जाये तो बिलकुल पता नहीं चलता की सफ़ेद पोशाक में कार्टून दरअसल इंसान है.. तो आप भी देखिये और लुत्फ़ उठाइए इन बेहतरीन विज्ञापनों का...
इन्हें यहाँ भी देख सकते हैं.
http://www.youtube.com/watch?v=256Z8yVDQdo

1 comment:

Arvind Mishra said...

जी जूजू नाम भी अच्छा ,काम भी और सोच भी !