वोटर आई कार्ड, राशन कार्ड, मैट्रिक का प्रमाणपत्र और जिस इलाके में रहते हैं.. वहां के थाने से चरित्र प्रमाणपत्र .... जी हाँ ये हैं ब्लॉग बनाने के लिए आपके पास होने वाली अहम् चीजें... अगर इसके बाद भी काम नहीं बने तो किसी सांसद से लैटर लिखवा लिया जाये तो ब्लॉग जल्दी बन जायेगा.. आपको लग रहा होगा की मै ये क्या बकवास कर रहा हूँ. दरअसल ये एक बड़ा मजेदार वाकया है जो आज सुबह मेरे दफ्तर में हुआ... दफ्तर में लगभग सारे काम निपट चुके थे.. सुबह का बुलेटिन शुरू हो गया था.. और थोडी देर में आरती का प्रसारण शुरू होने वाला था.. फिर करीब एक डेढ़ घंटे के लिए काम थोडा धीमा हो जाता है. इसी बीच कुछ सहकर्मियों के बीच ब्लॉग को लेकर चर्चा शुरू हुई. एक ने दूसरे से सवाल किया भई ब्लॉग बनाने के लिए किन-किन चीजों की जरुरत होती है.. मुझे भी अपना ब्लॉग बनाना है.. उनका इतना पूछना था की मेरे दूसरे सहयोगी ने तपाक से जवाब दिया वोटर आई कार्ड, राशन कार्ड, मैट्रिक का प्रमाणपत्र और जिस इलाके में रहते हैं.. वहां के थाने से चरित्र प्रमाणपत्र. जवाब सुनते ही मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई..मुझे हंसते देख जवाब देने वाला सहयोगी भी हंसने लगा..लेकिन पहला सहयोगी अभी भी सीरियस था. उसने कहा वोटर आई कार्ड और मैट्रिक का प्रमाणपत्र तो है.. चरित्र प्रमाणपत्र भी मिल जायेगा लेकिन राशन कार्ड...
मैंने कहा किसी सांसद से लैटर लिखवा लो तो सारी दिक्कतें तुरतं दूर हो जाएँगी.. मुझे लगा मेरी इस बात से वो समझ जायेगा की हम मजाक कर रहे है लेकिन वो गंभीर था. खैर बाद में हमने उन बंधु को ब्लॉग बनाने का तरीका बताया..
तो आजकल में हो सकता है की मेरे ये सहयोगी अपना ताज़ातरीन ब्लॉग लेकर हाज़िर हो....तो मेरे साथ आप भी स्वागत करें उनका..
11 comments:
मजेदार....
महेश भागवत
सहयोगी से आपने अच्छा किया मजाक।
सच्ची घटना है अगर सुनकर हुआ अवाक।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
अपने मित्र को ये भी बोल दिजिये कि ब्लॉगिंग शुरू करने से पहले पत्नी का नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट भी लगेगा पहले उसी का इंतजाम करें....बाकी चीजें तो पिछायमान हैं :)
wah!!
बहुत अच्छी बात है कि गूगल बाबा मुफ्त में ब्लाग बनवा देते हैं, वह भी बिना किसी सांसद की सिफारिश के! नहीं तो - - - -!!
उन महाशय की क्या गलती ... पिछले दिनों मैं दिल्ली के एक साइबर कैफे में गयी तो बिना आई कार्ड के उन्होने बैठने ही नहीं दिया ... ऐसी हालत में ताज्जुब तो है कि बिना आई कार्ड के जीमेल अकाउंट या ब्लाग कैसे खुल जाता है।
मजाक की बात नहीं है......ब्लाग के माध्यम से शासन तंत्र को इतना जूतियाया जा रहा है कि आने वाले समय में ब्लाग आरम्भ करने के लिए इस प्रकार की औपचारिकताएं पूरी करनी आवश्यक हो जाया करेंगी.
बहुत बढ़िया। मेंरे कार्यालय में भी कई लोग मेरे पास आते हैं और ब्लॉग बनाने की गुज़ारिश करते हैं लेकिन ऐसा वाकया पेश नहीं आया। लेकिन आने वाले समय में हो सकता है कि वाकई ब्लॉग बनाने के लिए इन चीज़ों की ज़रूरत पड़े
मज़ेदार वाकया। आज के वक़्त में हर चीज़ इतनी कॉम्प्लिकेटेट होती जा रही है कि तुम्हारे साथी की चिंता वाजिब भी हैं।
Wah sir ji maza aa gayaa
khub bhalo
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