पिछले दिनों शाहरूख ख़ान ने अपना 43वाँ जन्मदिन मनाया। इसी दिन शाहरूख की नई फ़िल्म रब ने बना दी जोड़ी का प्रोमो भी रिलीज़ किया गया। ये फ़िल्म यशराज बैनर की है और उससे भी ख़ास बात कि आदित्य चोपड़ा ने निर्देशित की है। बहुत दिनों बाद आदित्य ने कोई फ़िल्म निर्देशित की है। सो ये फ़िल्म अपने आप में ख़ास और देखने लायक बन जाती है। प्रोमो में दिखाया जा रहा गाना हौले-हौले... इस फ़िल्म को और ख़ास बना देता है। वो ऐसे कि ये वही शाहरूख और आदित्य की जोड़ी है जिसने तक़रीबन 14 साल पहले दिलवाले दुल्हनिया ले जाएगे के ज़रिए नौजवानों के बीच जोश और जुनून का जादू पैदा किया था। लेकिन, उस वक़्त ये दोनों ही जवान थे और इसीलिए एक ऐसी फ़िल्म बनाई थी, जिसमें 21-22 साल का नायक बिना ये जाने कि नायिका उससे प्यार करती है या नहीं वो उससे मिलने सात समुंदर पार चल देता है। उसका ख़ून गर्म रहता है और वो आज में जीता है। उसे सब जल्दी-जल्दी चाहिए। लेकिन, आज वही नायक बड़ा हो गया है। वो पढ़-लिखकर एक नौकरी कर रहा है और उसे इस वक़्त भी किसी बात की कोई जल्दी नहीं है। वो सब कुछ आराम से करने में यकीन करता हैं, प्यार भी। लेकिन, ऐसा क्यों हुआ। आदित्य ने ऐसी फ़िल्म क्यों बनाई। क्योंकि निर्देशक तो बूढ़ा नहीं होता हैं। यश चोपड़ा ने अपनी आखिरी निर्देशित फ़िल्म दिल तो पागल है जैसी युवा और प्रेम से ओत-प्रोत बनाई थी। लगता है आदित्य अपनी ऑडिएन्स नहीं खोना चाहते हैं। दिलवाले के वक़्त के दर्शक आज उम्र बड़े हो गए हैं। वो उस जोश से निकलकर होश में आ गए है। उस वक़्त जो स्कूल या कॉलेज में मस्ती मारते थे, आज नौकरी के चक्कर में धक्के खा रहे हैं।
फ़िल्म की कहानी क्या होगी ये तो नहीं मालूम लेकिन, प्रोमो से यही लगता है कि शाहरूख और आदित्य ने ये फ़िल्म उसी दर्शक दीर्घा के लिए बनाई है। जोकि जोश से होश में आ गई हैं। जो जल्दी-जल्दी से हौले-हौले हो गई हैं। इस पूरी बात में एक बात ये भी है कि आज के स्कूली और कॉलेज जानेवाले दर्शकों की प्रेम कहानियाँ भी बदल चुकी हैं। वो अब दिलवाले या मोहब्बतें जैसी नहीं बल्कि सलाम-नमस्ते और जब वी मेट जैसी प्रेम कहानियाँ पसंद करते हैं। और ऐसी फ़िल्मों में यशराज बैनर का हाथ कच्चा लगता है। नील और निक्की इसका एक उदाहरण मात्र है। यही वजह है कि आदित्य ने कुछ नया करने से बेहतर समझा पुराने को ही चमकाना। शायद इसी को कहते उम्र का तकाज़ा...