जब बीसीयों एफ़एम स्टेशन्स और म्यूज़िक चैनल्स के बीच भी मन उकता जाएं… और बरसात के इस मौसम में गुनगुनाने के लिए एक गाना ना मिले… जब गायक का गाना चिल्लाना लगे… या फिर गाने कुछ यूँ हो कि बोल समझ ही ना आए। तब एक बार यहाँ आएं और इन्हें सुनें...
2 comments:
Anonymous
said...
मन उकता जाएं नहीं, मन उकता जाए लिखें। अभी ऑफिस में हूं और यहां डेस्कटॉप के साथ स्पीकर नहीं है। सुन नहीं सकता। माफ कीजिएगा।
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मन उकता जाएं नहीं, मन उकता जाए लिखें। अभी ऑफिस में हूं और यहां डेस्कटॉप के साथ स्पीकर नहीं है। सुन नहीं सकता। माफ कीजिएगा।
आभार इस प्रस्तुति के लिए.
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